Nibandh on Paryavaran Pradushan in Hindi - पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध/Essay

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Essay on Paryavaran Pradushan in Hindi

nibandh on paryavaran pradushan

प्रकृति में दूषित पदार्थो के कारण उत्पन्न होने वाली समस्या प्रदूषण होती है, इससे पर्यावरण में मौजूद सभी घटक प्रदूषित होने लगते हैं तो प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण का रूप ले लेता है, जो कि आज के समय की बड़ी समस्या बन चुका है। स्कूल में स्टूडेंट्स से हिन्दी परीक्षाओं में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (nibandh on paryavaran pradushan) लिखने के लिए कहा जाता है। यहा पढ़िए Essay on Environmental Pollution और Nibandh on Paryavaran Pradushan in Hindi 

प्रदूषकों की प्रकृति और पर्यावरणीय घटकों के आधार पर प्रदूषण कई तरह के हो सकते है, जैसे – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा या भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण आदि। इन सभी को पर्यावरण प्रदूषण के अंतर्गत ही शामिल किया जाता है क्योकि ये सभी प्रकृति और पर्यावरणीय घटको के दूषित होने को दर्शाते है।

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पर्यावरण प्रदूषण क्या है? (What is Environmental Pollution in Hindi/Paryavaran Pradushan kya hota hai)

पृथ्वी और वायुमंडल के भौतिक और जैविक घटक जैसे – वायु, जल, मृदा आदि का इस हद तक दूषित होना जिससे कि सामान्य पर्यावरणीय प्रक्रियाएं प्रतिकूल रूप से प्रभावित होने लगती है, तो उसे पर्यावरण प्रदूषण (Paryavaran Pradushan या Environmental Pollution) कहा जाता है।

पर्यावरण और वातावरण में हानिकारक पदार्थों जैसे – गैसीय प्रदूषकों, विषाक्त धातुओं, पार्टिकुलेट मैटर आदि के प्रवेश से पर्यावरण प्रदूषण शुरू हो जाता है, और जल निकायों में सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि अपवाह, इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, खनन जैसी गतिविधियाँ आदि भी पर्यावरण के दूषित होने का कारण बनती है।

पर्यावरण प्रदूषण से जैविक जीवन के स्वास्थ्य पर विभिन्न प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं, जिनमें से कुछ सबसे महत्वपूर्ण हानिकारक प्रभाव प्रसवकालीन विकार, शिशु मृत्यु दर, श्वसन संबंधी विकार, एलर्जी, दुर्दमता, हृदय संबंधी विकार, तनाव ऑक्सीडेटिव में वृद्धि, एंडोथेलियल डिसफंक्शन, मानसिक विकार आदि शामिल हैं।

पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए जन जागरण बहुत आवश्यक है और पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण के लिए परिवहन प्रणालियों में सुधार, पर्यावरण नियोजन, भूमि विकास का प्रबंधन आदि प्रमुख घटक हो सकते हैं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi/Nibandh on Paryavaran Pradushan)

खराब वातावरणीय परिस्थितियों की वजह से जीवो पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को “पर्यावरण प्रदूषण” से सन्दर्भीत किया जाता है जो जीवधारियो के विकास और काम को बुरे तरीके से प्रभावित करता है।

पर्यावरण प्रदूषण धरती पर इंसानो और अन्य जीवो को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाली मुख्य समस्याओं में से एक है। यह भौतिक और जैविक घटकों का संदूषण होता है जिससे सभी पर्यावरणीय प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं। पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले प्रदूषक दूषित पदार्थ और ऊर्जा के रूप में हो सकते है। प्राकृतिक संसाधनों का उनकी क्षमता से अधिक उपयोग हवा, पानी और मर्दा के दूषित होने का परिणाम होता है।

पर्यावरण प्रदूषित होने की वजह से जलवायु में परिवर्तन होता है और जिसके कारण हरितगृह प्रभाव, तापमान का बढ़ाना, ओजोन परत क्षय, अम्लीय वर्षा, भूस्खलन, मृदा क्षरण जैसे कई वातावरण के विपरीत प्रभाव होते हैं।

दुनियाभर में इंसान ने लगातार प्रकृति का दोहन किया है, जिसका पर्यावरण पर काफ़ी प्रभाव पड़ा है, और दूषित पर्यावरण लोगो को भी शारीरिक रूप से नुकसान पहुँचाता है इसलिए इंसान को सुरक्षित जीवित जीने के लिए प्रदूषण को कम करने के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है, अगर इससे निपटने के लिए कोई उपाय समय रहते नही किया गया तो प्रदूषण आने वाली पीढ़ी के भविष्य के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है।

उद्योगीकरण से निकलने वाले धुँए और कचरे से होने वाला पर्यावरण प्रदूषण दुनियाभर के देशों के लिए एक संभावित ख़तरा बन गया है। इस ख़तरे से निपटने के लिए तमाम देश विचारशील हैं और कई बेहतर कदम उठाने की ओर अग्रसर भी है।

पर्यावरण के प्रति लोगो में जागरुकता लाने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस, 16 सितंबर को ओजोन दिवस, 22 मार्च को जल दिवस, 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस और 22 मई को जैव विविधता दिवस मनाये जाते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Paryavaran Pradushan ke Prakar)

पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव लोगो के स्वास्थ्य, पशु या जीव-जंतुओ के स्वास्थ्य, मौसम आदि पर पड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार कुछ तरह है, जैसे –

(1) वायु प्रदुषण

हर जीव के लिए वायु या हवा बहुत महत्वपूर्ण है क्योकि बिना श्वास लिए किसी भी जीव के लिए जीवित रह पाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में, यदि हवा ज़हरीली गैसो से कारण दूषित होती है और जिवो को नुकसान पहुँचाती है तो इसे वायु प्रदुषण कहा जाता है।

(2) जल प्रदूषण

जब हानिकारक रसायन या पदार्थ, फैक्ट्रियों से निकाला अपशिष्ट पानी के स्रोत मे मिल जाता है तो इससे जल प्रदूषण होता हैं। जल का दूषित होना जल प्रदूषण का कारण बनता है जिससे पानी की गुणवत्ता कम होती हैं और पानी में विषाक्त रसायन इंसानो द्वारा पानी के इस्तेमाल किए जाने पर नुकसान पहुँचाते हैं।

(3) मृदा प्रदूषण

मिट्टी के दूषित होने के कारण मिट्टी की गुणवत्ता ख़त्म हो जाती है। ज़्यादा मात्रा में उर्वरकों, अमोनिया, पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन, कीटनाशकों, नाइट्रेट, नेफ़थलीन जैसे कुछ मुख्य रसायनों के कारण मृदा प्रदूषण होता है।

(4) ध्वनि प्रदूषण

ज़्यादा शोर और अनुपयोगी ध्वनियों के कारण ध्वनि प्रदूषण फैलता हैं, जिससे इंसानो, जीव जन्तुओं आदि को काफ़ी परेशानी होती है। यातायात या वाहनो से उत्पन्न शोर ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण (Paryavaran Pradushan ke Karan)

पर्यावरण को प्रभावित करने के कई स्रोत है जो पर्यावरण प्रदूषण के कारण बनते है, जो इस प्रकार है, जैसे –

(1) औद्योगिक गतिविधि 

उद्योग संपन्नता व समृद्धि लाते हैं इसके साथ ही वातावरण को भी नुकसान पहुँच रहा हैं क्योकि औद्योगिक कचरा पानी, हवा, मिट्टी आदि के लिए प्रदूषण का स्रोत बनता जा रहा है। उद्योगों से निष्कासित होने वाला रासायनिक कचरा नदियों, नालो, समुद्रों में जाता है।

(2) मोटर वाहन

भारत में ज़्यादातर वाहनो में ईंधन के रूप में डीजल और पेट्रोल का इस्तेमाल होता है, जब यह ईंधन जलता है तो इससे विषैली गैसे निष्कशित होती है जो वायुमंडल में वीलीन होकर पर्यावरण को प्रदूषित करती है। वाहनो से धुएं का उत्सर्जन हवा को दूषित करता है जिससे वायु प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा वाहन ध्वनि प्रदूषण का भी मुख्य कारण होते है।

(3) औद्योगीकरण और शहरीकरण

पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण तेजी से होता शहरीकरण और औद्योगीकरण हैं क्योंकि बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण की वजह से पेड़ पौधों को नुकसान पहुँचाया जा रहा हैं, जिससे जानवरों, इंसानो और वातावरण को लगातार नुकसान हो रहा हैं।

(4) जनसंख्या वृद्धि

दुनिया के अन्य देशो के साथ-साथ हमारे देश भारत में भी लगातार जनसंख्या में वृद्धि हो रही है जिससे देश में बुनियादी ज़रूरतो की मांग काफ़ी बढ़ती जा रही है। इंसानो की मांग को परिपूर्ण करने के लिए शहरीकरण और औद्योगीकरण के लिए वनों की भारी मात्रा में कटाई हो रही है, जिससे पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

(5) जीवाश्म ईंधन दहन

जीवाश्म ईंधनों के दहन से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी अन्य विषैली गैस भी हवा, पानी और मिट्टी के प्रदूषण का स्रोत है।

(6) कृषि अपशिष्ट

ज़्यादा उपज के लिए कृषि के दौरान इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक और उर्वरक केमिकल के अलावा पराली जलाने से निकलने वाला धुआ भी पर्यावरण प्रदूषण स्रोत हैं।

निष्कर्ष – nibandh on paryavaran pradushan

आधुनिकरण की वजह से प्रकृति हर रोज दोहन हो रहा है जिसके परिणामस्वरुप वातावरण लगातार दूषित होता जा रहा है। दुनियाभर में पीने के पानी से लेकर हवा, मिट्टी और हमारे आसपास सब कुछ प्रदूषित हो गया है, लोगो को इसके प्रति जागरूक होने की बहुत आवश्यकता है।

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