Jivan क्या है और जीवन का वास्तविक सार क्या है?

Jivan क्या है और जीवन का वास्तविक सार क्या है?

Jivan kya hai

जीवन ऐसा शब्द है जिसकी व्याख्या जितनी की जाए उतनी कम है, यहा पर आप इसी के बारे में विस्तार से जानेगे कि आख़िरकार, जीवन क्या है और जीवन का वास्तविक सार क्या है? जानिए, Jivan kya hai 

पूरे ब्रम्हांड में पृथ्वी एकमात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन संभव है जहाँ पर इंसानो के अलावा विभिन्न जीव-जन्तु रहते है, इन सभी का पृथ्वी पर जीवित रहना, उनकी उत्तरजीविता, उनका अतिजीवन आदि जीवन का रूप है, पृथ्वी पर इन सभी का जन्म लेना कोई ना कोई मकसद को पूरा करता है, सभी का जीवित रह पाना प्रकृति पर आश्रित है।

जीवन उन विशेषताओं, अवस्था या विधा के बारे में है जो किसी जीवित वस्तु को मृत पदार्थ से अलग करती है और यह उस अवधि को संदर्भित करता है जब एक चर वस्तु जन्म और मृत्यु के बीच कार्यशील रहती है, जैसे – एक इंसान का जीवन तब तक ही होता है जब तक वह जिंदा और कार्यशील रहता है, ऐसा ही जीव-जंतुओ के साथ भी है।

Jivan kya hai

जीवन का क्या अर्थ है? (Jivan ka arth kya hota hai in Hindi)

जीवन का अर्थ जिंदगी, जीवनकाल, प्राण आदि से है, किसी का इस ब्रम्हांड और धरती पर जीवित रहना ही जीवन है जोकि किसी के पैदा होने से लेकर उसके मरने तह का समय होता है।

जीवन का अर्थ वही है जो आप इसे मानते हैं। जीवित रहना ही जीवन का अर्थ है।

एक इंसान या जानवर का अस्तित्व ही जीवन (Jivan) है और वह स्थिति जो जानवरों और पौधों को अकार्बनिक पदार्थ से अलग करती है, जिसमें प्रजनन, वृद्धि, कार्यात्मक गतिविधि और मृत्यु से पहले निरंतर परिवर्तन की क्षमता जीवन का रूप है।

जीवन क्या है? (Jivan kya hai/matlab kya hota hai)

जीवन ऐसी अवस्था होती है जो लोगों, जानवरों और पौधों की उत्पति से लेकर उनकी समाप्ति तक रहती है, या ऐसा कह सकते है कि जन्म से लेकर मृत्यु तक का समय ही जीवन/Jivan होता है।

किसी इंसान और जीव-जन्तु की उत्पति एक नर और एक मादा के बीच संभोग का परिणाम है जो एक प्रकृति प्रक्रिया है, इसके अलावा जीवन का आधार प्राणी का चेतन होता है जो उससे जीवन की सभी क्रियाए करवाता है।

कुछ लोग जीवन को ईश्वर का एक वरदान मानते हैं लेकिन किसी के जन्म या उत्पति का आधार संभोग इच्छा है, जो नर और मादा के सहवास के दौरान पैदा होती है, जो संभोग करवाती है और एक प्राकृतिक प्रक्रिया किसी अन्य प्राणी को पैदा करती है, जीवन प्रदान करती है।

जीवन किसी के अस्तित्व की वह अवस्था है जिसमे एक प्राणी के भीतर इच्छा, कार्यशीलता और वृद्धि के लक्षण रहते है, यदि कोई चेष्टारहित है तो उसे जीवित नही माना जा सकता है। कई दार्शनिकों का कहना है कि जीवन जीने का नाम है, मात्र दुनिया में अस्तित्व के विद्यमान होने से जीवन नही हो सकता है।

जीवन ऐसी दशा है जो इंसानो, पशुओं, पौधों और अन्य जीवित सभी प्राणियों को अकार्बनिक एवम् कृत्रिम चीजों से भिन्न करती है और जो लगातार चलती रहने वाली क्रिया होती है।

जीवन का वास्तविक सार क्या है?

जीवन का वास्तविक सार निरंतर विकास और वृद्धि है।

जीवन चक्र क्या है?

जीवन चक्र, निषेचन क्रिया के बाद होने वाले जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन जीने और जिंदा रहने का समय होता है, जिस दौरान प्राणी खुद को जीवित रहने के लिए लगातार क्रियाशील रहता है और जिसमे प्रकृति की अहम भूमिका रहती है।

जीवन का सच & सत्य क्या है?

जरा और मृत्यु जीवन का सच या सत्य है यानी जो पैदा हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है, कोई भी इस पृथ्वी पर अमर नही रहता है, इसलिए मौत ही जीवन का सच है।

जीवन कौशल क्या है?

जीवन कौशल अनुकूलीत और सकारात्मक व्यवहार की क्षमता है जो मनुष्य को जीवन की मांगों और चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम बनाती है, जिसे मनोसामाजिक योग्यता भी कहा जाता है।

जीवन सुधा क्या है?

जीवन सुधा एक पुस्तक का नाम है और इस पुस्तक के लेखक का नाम यशपाल जैन हैं, इसके अलावा एक अन्य पुस्तक भी है जिसका नाम ‘जीवन सुधा’ महिला रोग विज्ञान है जिसको डॉ. कुन्तल कुमारी देवी ने लिखा है।

जीवन की राशि क्या है?

जैसा कि आप जानते है जीवन एक हिन्दी शब्द है जिसे इंग्लीश में लाइफ (Life) कहते है। जीवन, किसी व्यक्ति का नाम भी हो सकता है, इसलिए जीवन की राशि यानी जीवन नाम वाले व्यक्तियो की राशि “मकर” होती है जो बताती है कि जीवन नाम वाले व्यक्ति हमेशा आत्मविश्वासी, परिश्रमी और ईमानदार होते हैं।

जीवन निर्वाह कृषि क्या है?

जब खेती से उपज सिर्फ़अपने परिवार के पेटभरण के लिए की जाती है यानी जब मानव जीवित रहने के लिए ही खेती से धान और अनाज की उपज करता है उसे जीवन निर्वाह कृषि या जीविका निर्वाह कृषि कहा जाता हैं।

जीवन जीने के लिए क्या ज़रूरी है? (Jivan jine ke liye kya jaruri hai)

“रोटी, कपड़ा और मकान” इंसानो की मुख्य ज़रूरत है, जीवन जीने के लिए कुछ शारीरिक आवश्यकताए जैसे – हवा, पानी, भोजन, आश्रय, कपड़ा, स्वच्छता, नींद और व्यक्तिगत स्थान ज़रूरी हैं। 

जीवन कैसा होता है? (Jivan kaise hota hai)

“चलती का नाम ज़िंदगी है, और जिंदगी ही जीवन है”, हर किसी का जीवन संघर्ष और आशाओ से भरा, और इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश में लगातार कार्यशील होता है, जिसका जीवन कार्यशील नही है उसका जीवन जीवन नही है बल्कि पृथ्वी पर बोज है, क्योकि अपनी ज़रूरतो के लिए तो एक जानवर भी खुद ही मेहनत करता है। 

दाम्पत्य जीवन क्या होता है? (Dampatya Jeevan ka Matlab kya hota hai)

वैवाहिक या शादीशुदा लोगो के जीवन को ‘दाम्पत्य जीवन’ कहते है जिसमे दो व्यक्तियों (नर+मादा) के बीच सामाजिक और कानूनी अनुबंध होता है जो उनके जीवन को कानूनी, आर्थिक और भावनात्मक रूप से एकजुट करता है। 

सन्यासी जीवन क्या होता है? (Sanyasi Jeevan kya hai/kaisa hota hai)

ऐसा जीवन जिसमें किसी भी प्रकार की इच्छा और मोह माया नहीं होती है, सन्यासी जीवन जीने वाले को सबकुछ नश्वर लगता है, और ऐसा व्यक्ति एक संन्यासी कहलाता हैं। सन्यासी जीवन जीने वाले का एकमात्र मकसद मोक्ष प्राप्ति होता हैं।

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