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भारत में अब तक 1986 में लागू और 1992 में संशोधित की गयी शिक्षा नीति (Shiksha Niti) के अनुसार स्कूल के पाठ्यक्र्म चालू थे, अब कई सालो के बाद 2020 में (29th July को) भारतीय शिक्षा नीति (National Education Policy) में प्री-प्राइमरी स्कूलिंग से लेकर उच्च शिक्षा तक काफ़ी बड़े परिवर्तन किए गये है।
भारत में अभी तक शिक्षा से पिछड़े दो करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में लाकर, तकरीबन 2030 तक भारतीय स्कूली शिक्षा में 100 फ़ीसदी Gross Enrolment Ratio (सकल नामांकन अनुपात) के साथ माध्यमिक शिक्षा स्तर तक का लक्ष्य पूरा किया जाएगा, इसके लिए स्कूली शिक्षा की बुनियादी संरचना में बदलाव लाकर, कई नये शिक्षा के केंद्रों की शुरूवात की जाएगी।
अब से स्कूलों में शैक्षणिक व पाठ्येतर गतिविधियों के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा पर भी ज़ोर दिया जाएगा, इसके अलावा सामाजिक व आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चो की शिक्षा पर भी खास ध्यान दिया जाएगा।
नई भारतीय शिक्षा नीति में जीडीपी का 6 फ़ीसदी खर्च किया जाएगा जो पहले 4.43 फ़ीसदी ही था, और साल 2030 तक 3 से 18 तक आयु वर्ग के बच्चो को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य इस नयी शिक्षा नीति के तहत रखा है।
नई शिक्षा नीति 2020 (Nayi Shiksha Niti) से जुड़ी ख़ास जानकारी –
- नयी शिक्षा नीति के अनुसार पहले के स्कूल पाठ्यक्रम संरचना 10+2 की जगह, अब नयी पाठयक्रम संरचना 5 + 3 + 3 + 4 के रूप में होगी।
- शुरू के 5 साल में 3-8 साल की उम्र के बच्चे ‘प्री-प्राइमरी से क्लास 2 तक’, फिर आगे के 3 साल में 8-11 साल की उम्र के बच्चे ‘क्लास 3 से क्लास 5 तक’, फिर से 3 साल में 11-14 साल की उम्र के बच्चे ‘क्लास 6 से क्लास 8 तक’ और 4 साल में 14-18 साल की उम्र के बच्चे ‘क्लास 9 से क्लास 12 तक’ अपनी शिक्षा लेंगे।
- अब 3 साल की प्री-प्राइमरी स्कूलिंग (तीन साल की आंगनवाड़ी) के बाद 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी यानी अब कुल 15 साल की स्कूलिंग होगी।
- अब से छात्र सिर्फ़ 3वी क्लास, 5वी और 8वी क्लास में ही परीक्षा देंगे, 10वी और 12वी क्लास की बोर्ड परीक्षा पहले के जैसे ही होगी।
- अब से पाँचवी क्लास तक पढ़ाई का माध्यम स्थानीय / क्षेत्रीय / मातृ भाषा होगी, जिसे आगे आठवी क्लास या उससे भी आगे बढ़ाया जा सकता है।
- अब 6वी क्लास से वोकेशनल कोर्स की शुरूवात की जाएगी, जिसमे इच्छुक छात्र 6वी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप/प्रशिक्षण कर पाएँगे।
- यदि कोई छात्र अपने कोर्स को बीच में ही छोड़कर किसी अन्य कोर्स में दाख़िला लेना चाहे, तो वो पहले वाले कोर्स से एक निश्चित समय तक का ब्रेक ले पाएगा और फिर दूसरा कोर्स ज्वाइन कर पाएगा।
- नयी नीति के अनुसार विदेशी भाषा जैसे अँग्रेज़ी की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से शुरू की जाएगी और किसी भी भाषा को किसी भी छात्र पर थोपा नहीं जाएगा।
- शिक्षा के बाद जो नौकरी करना चाहेंगे, उनको तीन साल का डिग्री प्रोग्राम पूरा करना होगा और जो आगे रिसर्च या पीएचडी करना चाहेंगे, उनको चार साल का डिग्री प्रोग्राम करना होगा, फिर वो PhD कर पाएँगे यानी 2 साल की पोस्ट-ग्रॅजुयेशन में से आपका 1 साल कम हो जाएगा।
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the above content is wrong. 10th board has’en end but u didn’t corrected it …
Board exams for Classes X and XII will continue…exams will be made easier
लोकल भाषा में पढ़ाई करने से देश में नौकरी पाते वक्त असंतुलन की स्थिति पैदा हो जायेगी, पूरे देश में एकता बनाये रखने के लिए ज़रूरी है कि शिक्षा का माध्यम एक ही होना चाहिए