Diwali par Kavita (Hindi) - दीवाली की कविता हिन्दी में

Diwali Kavita in Hindi | Diwali par Kavita – दीवाली की कविता

diwali par kavita in hindi

भारत का सबसे बड़ा त्योहार “दीपावली” या “दीवाली” बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक हैं, रामायण के अनुसार जब भगवान राम 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे तब अयोध्यावासियो ने बहुत सारे दीपक जलाकर अपने राजा भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण का भव्य स्वागत किया था, तभी से हिंदू धर्म में दीवाली का पर्व बड़े ही धूमधाम से हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है, यहा पढ़िए Diwali par Kavita और Diwali Kavita in Hindi

इस त्योहार का महत्व इतना है कि लोगो अपने व्यस्त से व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर अपने घर-परिवार के लोगो से मिलते है और एक-साथ आते है, फिर पूरे रीति-रिवाज़ के साथ इस पर्व को मनाते है, दिए जलाकर अपने घर को रोशन करते है, अच्छे पकवान घर पर बनते है और सब एक साथ बैठकर भोजन करते है, पटाखे जलाते है, इस प्रकार दीवाली (Diwali/Deepawali) सबके जीवन को खुशहाल बनाने का काम करती है।

जानिए, दीवाली क्यो मनाई जाती है?

दीवाली पर कविता (Diwali Kavita in Hindi/Diwali par Kavita/Poem Hindi Mein)

मन से मन का दीप जलाओ
जगमग-जगमग दि‍वाली मनाओ
धनियों के घर बंदनवार सजती
निर्धन के घर लक्ष्मी न ठहरती
मन से मन का दीप जलाओ
घृणा-द्वेष को मिल दूर भगाओ
घर-घर जगमग दीप जलते
नफरत के तम फिर भी न छंटते
जगमग-जगमग मनती दिवाली
गरीबों की दिखती है चौखट खाली
खूब धूम धड़काके पटाखे चटखते
आकाश में जा ऊपर राकेट फूटते
काहे की कैसी मन पाए दिवाली
अंटी हो जिसकी पैसे से खाली
गरीब की कैसे मनेगी दीवाली
खाने को जब हो कवल रोटी
खाली दीप अपनी बोली खुद लगाते
गरीबी से हमेशा दूर भाग जाते
अमीरों की दहलीज सजाते
फिर कैसे मना पाए गरीब दि‍वाली
दीपक भी जा बैठे हैं बहुमंजिलों पर
वहीं झिलमिलाती हैं रोशनियां पटाखे
पहचानने लगे हैं धनवानों को वही फूटा करती
आतिशबाजियां यदि एक निर्धन का भर दे जो पेट
सबसे अच्छी मनती उसकी दि‍वाली
हजारों दीप जगमगा जाएंगे
जग में भूखे नंगों को यदि रोटी वस्त्र मिलेंगे
दुआओं से सारे जहां को महकाएंगे
आत्मा को नव आलोक से भर देगें
फुटपाथों पर पड़े रोज ही सड़ते हैं
सजाते जिंदगी की वलियां रोज है
कौन-सा दीप हो जाए गुम न पता
दिन होने पर सोच विवश हो जाते!
आई रे आई जगमगाती रात हैं आई
दीपों से सजी टिमटिमाती बारात हैं आई
हर तरफ है हँसी ठिठोले
रंग-बिरंगे,जग-मग शोले
परिवार को बांधे हर त्यौहार
खुशियों की छाये जीवन में बहार
सबके लिए हैं मनचाहे उपहार
मीठे मीठे स्वादिष्ट पकवान
कराता सबका मिलन हर साल
दीपावली का पर्व सबसे महान
फिर से सजेगी हर दहलीज़ फूलों से 
फिर महक उठेगी रसौई पकवानों से
मिल बैठेंगे पुराने यार एक दूजे से 
फिर से सजेगी महफ़िल हँसी ठहाको से
चारों तरफ होगा खुशियों का नज़ारा 
सजेगा हर आँगन दीपक का उजाला
डलेगी रंगों की रंगोली हर एक द्वार 
ऐसा हैं हमारा दीपावली का त्यौहार!
ना फुलजड़ी फटाके बुलाते मुझे 
ना गुलाब जामुन की खुशबू ललचाती मुझे
ना फुलजड़ी फटाके बुलाते मुझे 
ना गुलाब जामुन की खुशबू ललचाती मुझे
ना नए कपड़ों की चाहत खीचें मुझे 
ना गहनों चमक लुभाए आये मुझे
मुझे तो चाहिए कुछ अनमोल घड़ी 
जब फिर से जुड़ती अपनों से कड़ी
दिवाली की रंगत ना भाती मुझे 
बस माँ की गोद ही याद आती मुझे
नहीं वो बचपन की दिवाली सजे 
बस मुझे मेरे अपनों का साथ मिले 
बस साथ मिले!
आई रे आई जगमगाती रात है आई
दीपों से सजी टिमटिमाती बारात हैं
आई हर तरफ है हंसी ठिठोले रंग-बिरंगे,
जग-मग शोले परिवार को बांधे हर त्यौहार
खुशियों की छाए जीवन में बहार सबके लिए हैं
मनचाहे उपहार मीठे मीठे स्वादिष्ट पकवान
कराता सबका मिलन हर साल दीपावली का पर्व
सबसे महान आई रे आई जगमगाती
रात है आई!
प्रभु राम चंद्र जी सीता जी संग आयोध्या लौट के आये
आयोध्या वासियो ने ख़ुशी में घी के दीये जलाये
दिवाली का पर्व चलो मिलकर सब मनायें
पटाखों का धुंआ नहीं दीपमाला जलायें
रंगों भरी रंगोली हो, मिठाई से भरी थाली हो दोस्तों से मिलें,
उपहार दे और लें करें दान आज के वार आप सबको मुबारक हो दिवाली का त्यौहार!

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