World First Camera in Hindi - दुनिया का सबसे पहला कैमरा?

Duniya ka sabse pehla Camera – दुनिया पहला कैमरा कब बना था?

World First Camera

दुनिया का पहला कैमरा? दुनिया में फोटोग्राफी के आने के पहले से ही कैमरे के इतिहास की शुरूवात हो चुकी थी। डिजिटल कैमरा और कैमरा फोन के साथ फोटोग्राफिक तकनीक से कैमरे का विकास धीरे-धीरे हुआ है, आज हम यहाँ जानेंगे कि आख़िरकार कैमरे की तकनीक की शुरुवात कब हुई और (duniya ka sabse pehla camera) दुनिया का सबसे पहला कैमरा (World First Camera) किसने और कब बनाया था?

आजकल स्मार्ट फ़ोन का चलन है, जिनमे कैमरा होना एक बहुत ही साधारण बात है, लेकिन पुराने समय में किसी के पास कैमरा होना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी। 

पहले कैमरा का साइज काफी बड़ा होता था, जिसको इस्तेमाल करना हर किसी के बस की बात नहीं थी, पर दुनिया में नयी तकनीक बढ़ने के साथ ही कैमरा के रूप, साइज और प्रकार भी बदल गए, जिनको आज इस्तेमाल करना बहुत आसान है। 

दुनिया का सबसे पहला कैमरा (World First Camera) कब और किसने बनाया था?

दुनिया के सबसे पहले कैमरे (duniya ka sabse pehla camera) को जोहान्न ज़हन (Johann Zahn) ने बनाया था, जिसको साल 1685 में बनाया गया था, लेकिन सबसे पहली तस्वीर जोसफ नाइसफोर नीपसे (Joseph Nicéphore Niépce) ने साल 1826 में खींची थी।

नाइसफोर नीपसे को फोटोग्राफी के निर्माता के रूप में जाना जाता है, उन्होंने होममेड कैमरे का उपयोग करते हुए सिल्वर क्लोराइड से लेपित एक कागज पर पहली एक आंशिक रूप से सफल तस्वीर ली थी। यह तस्वीर फ्रांस के बरगंडी क्षेत्र में निएप्स एस्टेट की ऊपर की खिड़कियों से ली गई थी।

हजारों साल पहले एक इराकी वैज्ञानिक इब्न-अल-हेथम ने अपनी पुस्तक, बुक ऑफ ऑप्टिक्स में 1021 में इस तरह के उपकरण का उल्लेख किया था।

Duniya ka sabse pehla camera kab banaya gaya tha?

दुनिया का सबसे पहला कैमरा (World First Camera), कैमरा ऑबस्कुरा (Camera Obscura) के रूप में जाना जाता है, जो प्रकाश को छाया में परिवर्तित करने के लिए उपयोग होता है। यह प्रकाशित छाया के आधार पर चित्र बनाने की प्रक्रिया को स्थापित करता है।

कैमरा ऑबस्कुरा के बारे में लिखित प्रमाण अत्यंत प्राचीन हैं, और इसका विकास कई सदीयों तक हुआ है। पहली बार इसका वर्णन चीनी दार्शनिक मो ति चुंग (Mozi) ने 5वीं सदी ईसा पूर्व में किया था। उसके बाद, ग्रीक दार्शनिक अरिस्टोटलेस (Aristotle) ने भी इसे वर्णित किया था।

मध्य युग में, आरबी और पश्चिमी यूरोप के वैज्ञानिकों और कलाकारों ने इस प्रकार के कैमरा का उपयोग करके छाया चित्र बनाना आरंभ किया। प्रकाश को छाया में देखने की प्रक्रिया के आधार पर, संगणकीय कैमरा का विकास हुआ, जिसने बाद में आधुनिक डिजिटल कैमरों का जन्म दिया।

इस प्रकार, कैमरा ऑबस्कुरा एक प्राचीन और महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसका विकास बाद में आने वाली कैमरा प्रणालियों के लिए मूल आधार साबित हुआ।

भारत में कैमरा कब आया?

कैमरा की पहुंच भारत में 19वीं सदी के अंत या 20वीं सदी की शुरुआत में हुई। इसका प्रचलन शुरू मुख्य रूप से ब्रिटिश सम्राट्य के साथ इंग्लैंड से आये अंग्रेजों के द्वारा हुआ।

उन दिनों, कैमरे को एक विशेष उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जाता था और यह मुख्य रूप से प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स और उद्योगों में प्रचलित था। इसके बाद, इंट्रोडक्शन ऑफ नए टेक्नोलॉजीज और आपूर्ति की वृद्धि के साथ, कैमरा की उपलब्धता आम जनता के लिए भी बढ़ी।

अधिकांश लोगों के लिए, फोटोग्राफी का प्रयोग आमतौर पर अपने व्यक्तिगत यात्राओं और विशेष अवसरों के साथ सीमित रहता था। फिर भी, वक्त के साथ और तकनीकी उन्नति के कारण, कैमरा व्यापक रूप से उपयोग होने लगा और आधुनिक दिनचर्या में सामान्यतः शामिल हो गया।

आज, कैमरा और फोटोग्राफी संबंधित उपकरण भारत में आपूर्ति के अनुसार व्यापक रूप से उपयोग होते हैं और यह एक महत्वपूर्ण क्रिया है, जो सभी क्षेत्रों में, जैसे कि Commercial, Literary, Social, Tourism, Learning, Science आदि, विशेष भूमिका निभाती है।

दुनिया का सबसे बड़ा कैमरा (World Biggest Camera) कौनसा था?

दुनिया के सबसे पहले और बड़े कैमरा (duniya ka sabse bada camera) को साल 1990 में जॉर्ज ईस्टमैन (George Eastman) नामक व्यक्ति ने बनाया था जिसका मकसद आल्टन रेलवे जो सबसे बड़ी रेल थी, उसकी तस्वीर खींचना था।

इस कैमरे का साइज इतना बड़ा था कि इसको उठाने मात्र के लिए 15 लोगो की आवश्यकता होती थी, और इस कैमरे से ली गई तस्वीर की साइज 8’×4.5′ होती थी।

दुनिया के सबसे बड़े कैमरे को बनाने कि लागत तक़रीबन 5000 डॉलर थी यानि अभी के समय के हिसाब से इसकी कीमत 3,64,885 रूपये है।

World First Camera - दुनिया का पहला कैमरा

कैमरे और फोटोग्राफी का एक लंबा इतिहास रहा है, पिछले लगभग 200 सालो में, कैमरा एक बॉक्स के रूप में विकसित हुआ जो आज के समय में डीएसएलआर और स्मार्टफोन में पाए जाने वाले हाईटेक कैमरा का रूप ले चुका है।

शुरुवाती दौर में, कैमरा वास्तव में तस्वीरों को रिकॉर्ड नहीं करता था, यह बस उन्हें दूसरी सतह पर प्रक्षेपित करता था, और उनसे ली हाई तस्वीर में ऑब्जेक्ट की छवियां उलटी दिखती थीं, हालांकि वास्तविक ऑब्जेक्ट का इनके जरिये अंदाजा लगाया जा सकता था। 

🔗 ट्रैन से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी 

1980-1990 के दशक में, कई निर्माताओं ने ऐसे कैमरों पर काम किया जो तस्वीरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से संग्रहीत करते थे, इनमें सबसे पहले पॉइंट-एंड-शूट कैमरे ऐसे थे, जिनमे फिल्म रील के बजाय डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल होता था।

सबसे बुनियादी पॉइंट-एंड-शूट कैमरा Niépce की पेवटर प्लेट वाली तस्वीर की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेता था, और अब कैमरा निहित स्मार्टफ़ोन से आसानी से एक उच्च-गुणवत्ता वाली तस्वीर ली जा सकती हैं।

साल 1991 तक, कोडक कम्पनी ने पहला डिजिटल कैमरा (duniya ka sabse pehla digital camera) तैयार किया, जो प्रोफेशनल्स द्वारा सफलतापूर्वक उपयोग किए जाने के लिए पर्याप्त था। फिर, अन्य निर्माताओं ने भी तेजी से इसका अनुसरण किया और कैनन, निकॉन, पेंटाक्स और अन्य निर्माता उन्नत डिजिटल एसएलआर (डीएसएलआर) कैमरों की निर्माण करते हैं।

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