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सौर/सोलर पैनल (Solar Panel) क्या है?
बिजली पैदा करने के लिए डिज़ाइन किया गया पैनल जैसा एक उपकरण, जिसमे ऊर्जा के स्रोत के रूप में सूरज की किरणों का इस्तेमाल किया जाता है यानी सौर उर्जा के इस्तेमाल से बिजली बनाने वाला उपकरण को सोलर या सौर पैनल कहा जाता है।
एक फोटो-वोल्टाइक मॉड्यूल या पीवी मॉड्यूल, जिसके सेल्स जो एक फ्रेम में स्थापित होते हैं, ये ऊर्जा के स्रोत के रूप में सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके प्रत्यक्ष रूप से बिजली (एलेक्ट्रिसिटी) उत्पन्न करते हैं, बहुत सारे पीवी मॉड्यूल के संग्रह को पीवी पैनल और सौर पैनल कहा जाता है।
ये पैनल (सौर/सोलर पैनल) सूर्य से प्रकाश के फोटॉन का उपयोग करके पीवी मॉड्यूल के सिलिकॉन सेल्स में उत्तेजक इलेक्ट्रॉनों द्वारा सूर्य की किरणों को बिजली में परिवर्तित करते है और फिर इस बिजली का उपयोग घर या किसी व्यवसाय में उर्जा की आपूर्ति के लिए किया जाता है।
सौर/सोलर पैनल की कीमत क्या है?
भारत में विभिन्न सौर पैनल निर्माताओं के सौर पैनलो की कीमतें अलग-अलग है जैसे –
- अडानी सोलर – Rs 18-35/Watt
- विक्रम सोलर – Rs 19-30/Watt
- वारी सोलर – Rs 19-28/Watt
- टाटा पावर सोलर – Rs 20-62/Watt
- ल्यूमिनस सोलर – Rs 24-58/Watt
- माइक्रोटेक सोलर – Rs 25-60/Watt
इनके अलावा कई अन्य ब्रांड्स जैसे एम्मेवी सोलर, नेविटास सोलर, पॅनेसॉनिक सोलर आदि के सोलर पैनल भी मार्केट में मौजूद है, जिनकी कीमत अलग-अलग है। यहा सिर्फ़ सोलर पैनलों की कीमत बताई गयी है सोलर पैनल सिस्टम को स्थापित करने और इसमे काम आने वाले अन्य उपकरण की कीमत अलग से होती हैं।
सोलर पैनल कितने प्रकार के होते है?
Monocrystalline Solar Panel (मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल) – मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल एक सिलिकॉन क्रिस्टल से बना होता है जो एक अन्य किसी सोलर पैनल की तुलना में प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र के हिसाब से सौर ऊर्जा को बिजली में परिवर्तित करने में बहुत ज़्यादा सक्षम है, इसलिए मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल के इस्तेमाल में ज़्यादा जगह की ज़रूरत नही होती है।
Polycrystalline Solar Panel (पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल) – पॉलीक्रिस्टलाइन सौर पैनल मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की तुलना में सस्ता होता है और यह मल्टी-क्रिस्टलीय फोटो-वोल्टाइक मॉड्यूल कई क्रिस्टल से मिलकर बना होता है और यह सोलर पैनल मोनोक्रिस्टलाइन पैनल की तुलना में प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र के हिसाब से सौर ऊर्जा को बिजली में कम मात्रा में परिवर्तित करता है।
Thin-film Solar Panel (पतली परत वाला सोलर पैनल) – यह सोलर एक दूसरी पीढ़ी की सौर सेल है जिसको एक से ज़्यादा पतली परतों पर फोटोवोल्टिक सामग्री जैसे कांच, प्लास्टिक और धातु की पतली-फिल्म को जमा करके बनाया जाता है और इसका व्यावसायिक इस्तेमाल कई तकनीकों में किया जाता है।
सौर/सोलर पैनल कैसे बनता है?
एक सौर पैनल के पीवी मॉड्यूल में सौर सेल, ग्लास, ईवा, बैक शीट और फ्रेम शामिल होते हैं। एक सौर पैनल बनाने के लिए कुल 20-25 मशीनो का इस्तेमाल किया जाता हैं और इसको बनाने के लिए लगभग 18 स्टेप्स फॉलो किए जाते हैं।
1. सेल कटिंग – लेजर कटिंग मशीन का उपयोग करके, सेल्स को काटा जाता है। पैनलों के वाट क्षमता के आधार पर, एक सेल का आकार निर्धारित किया जाता है।
2. स्ट्रिंग प्रक्रिया – यह पूरी तरह से स्वचालित प्रक्रिया होती है, 39 मिमी से अधिक आकार के सेल का उपयोग किया जाता हैं। इन सेल्स को फिर एक साथ इकट्ठा करके मिलाया जाता है। जिसमे ऊपरी भाग यानी सूर्य की ओर वाला हिस्सा नीला या काला हिस्सा नकारात्मक (-ve) भाग होता है और नीचे का भाग सकारात्मक (+ve) होता है।
3. सोलर ग्लास – एक बार जब सभी सेल्स को एक साथ जोड़ दिया जाता है, फिर मशीन इसे टेम्पर्ड ग्लास में बदल देती है, जिसमें पहले से ही एथिलीन विनाइल एसीटेट होता है।
4. सेल्स निरीक्षण – किसी भी गलती या त्रुटि के लिए किसी तकनीशियन द्वारा सेल्स की जांच की जाती है।
5. टैपिंग प्रोसेस – एक तकनीशियन एक मैट्रिक्स संरेखण में सभी सेल्स को टेप करता है।
6. कनेक्शन – इस स्टेप में सभी कनेक्शन को एक साथ जोड़ दिया जाता हैं और किसी भी अतिरिक्त सामग्री को हटा दिया जाता है।
7. मॉड्यूल कनेक्शन को इंसुलेट करना – इस स्टेप में बैक शीट और ईवा एनकैप्सुलेशन का उपयोग करके कनेक्शन को इन्सुलेट किया जाता है। यह प्रक्रिया सोलर मॉड्यूल को धूल और नमी से बचाने का काम करती है।
8. दर्पण अवलोकन/मिरर अब्ज़र्वेशन – किसी भी धूल कण, ग़लत रंग आदि के लिए सोलर मॉड्यूल को एक बार फिर से जांचा जाता है।
9. ईआई परीक्षण – इलेक्ट्रोल्यूमिनेशन परीक्षण सोलर मॉड्यूल का एक वास्तविक परीक्षण होता है, जिसके तहत सोलर मॉड्यूल को एक ईआई मशीन में स्कैन किया जाता है, जिसमे किसी भी कराब या कम बिजली की सेल्स, शॉर्ट सर्किट सेल्स, सेल्स में दरारों आदि को आसानी से देखा जा सकता हैं।यदि ऐसी कोई खराबी दिखाई देती है, तो इसे ठीक करने के लिए मॉड्यूल को वापस एग्ज़ॅमिन के लिए भेजा जाता है।
10. लॅमिनेशन प्रोसेस – इस प्रोसेस में मॉड्यूल का 140 डिग्री सेल्सियस पर लॅमिनेशन किया जाता है और इस प्रक्रिया में लगभग 20 मिनट का समय लगता हैं। लॅमिनेशन के बाद, मॉड्यूल को कमरे के तापमान तक पहुंचने तक ठंडा करने के लिए 10-15 मिनट के लिए छोड़ दिया जाता है।
11. ट्रिमिंग बैकशीट – इस स्टेप में अच्छी आकार का मॉड्यूल बनाने के लिए बैक शीट की अतिरिक्त सामग्री को काट कर हटा दिया जाता है।
12. फ़्रेम कटिंग – इस स्टेप में, पैनलों को बॉर्डर देने के लिए अलग-अलग आकारों के फ्रेम में काट दिया जाता हैं।
13. फ़्रेम पंचिंग – फिर पैनलों को माउंट करने के लिए यानी पैनल पर फ्रेम चढ़ाने के लिए फ्रेम में छेद बनाए जाते हैं।
14. सीलेंट फिलिंग और फ्रेमिंग – पैनल को हवा, धूल और नमी से बचाने के लिए सीलेंट फिलिंग की जाती है जो मॉड्यूल को फ्रेम पर मजबूती से लगाने में मदद करता है। फ़्रेम को मॉड्यूल पर लगाने के बाद इसे फिर से फ़्रेमिंग मशीन पर भेजा जाता है, जहां यह सुनिश्चित किया जाता है कि यह स्थायी रूप से फ्रेम से जुड़ा हुआ है या नही।
15. फिक्सिंग जंक्शन बॉक्स – एक जंक्शन बॉक्स को मॉड्यूल से जोड़ा जाता है, कनेक्शन को टांका लगाया जाता है और 10-12 घंटों के लिए छोड़ दिया जाता है ताकि यह पूरी तरह से सूख जाए।
16. मॉड्यूल की सफाई – फिर धूल के कणों या अतिरिक्त सीलेंट के किसी भी निशान को हटाने के लिए मॉड्यूल को साफ किया जाता है।
17. मॉड्यूल का परीक्षण – आगे मॉड्यूल के आउटपुट करंट, वोल्टेज, पावर आदि की जांच की जाती है, प्रत्येक मॉड्यूल के आउटपुट डेटा के लिए एक रिपोर्ट तैयार की जाती है। फिर एक बैक लेबल सभी विवरणों के साथ मॉड्यूल के पीछे चिपकाया जाता है। अंत में, मॉड्यूल को गुणवत्ता जांच प्रयोगशाला में भेजा दिया जाता है जहां इसके इन्सुलेशन रेज़िस्टेन्स का परीक्षण किया जाता है। एक मिनट के लिए 3000 वॉल्ट डाइरेक्ट करंट को इसमे से गुज़ारा जाता है। यदि पैनल करंट को सहन कर सकता है, तो उसे पास कर दिया जाता है।
18. पैकिंग – अंतिम गुणवत्ता टेस्ट के बाद, मॉड्यूल को एक बड़े बक्से में सुरक्षित रूप से पैक कर दिया जाता हैं।
सोलर पैनल कैसे काम करता है?
1. सूरज की रोशनी पैनलों को सक्रिय करती है – सोलर पैनल को छतों पर या बाहरी स्थानों में रखा जाता है, दिन के उजाले के दौरान सूर्य के प्रकाश को ये पैनल अवशोषित करते है।
2. सेल्स विद्युत प्रवाह का उत्पादन करते है – हर सोलर पैनल के अंदर सिलिकॉन की दो परतों से बना एक पतला अर्धचालक वेफर होता है जिससे एक परत को सकारात्मक रूप से चार्ज होती है, और दूसरी नकारात्मक रूप से चार्ज होती है, जिससे एक विद्युतीय क्षेत्र बनता है। जब सूर्य से प्रकाश ऊर्जा एक फोटोवोल्टिक सौर सेल पर पड़ती है, इससे सेल सक्रिय होता है और सेमीकंडक्टर वेफर के भीतर परमाणुओं से इलेक्ट्रॉनों निकलते है, ये इलेक्ट्रॉन सेमीकंडक्टर वेफर के आसपास के विद्युत क्षेत्र में विद्युत प्रवाह बनाता है।
3. डीसी को एसी में कॉनवर्ट – आगे डीसी इन्वर्टर गैजेट द्वारा डीसी बिजली को एसी बिजली में बदल दिया जाता है। आधुनिक सौर प्रणालियों में इन इनवर्टर को पूरे सिस्टम में पैनलों के पीछे माइक्रोइनवर्टर के रूप में स्थापित किया जाता है।
4. परिवर्तित बिजली से उर्जा आपूर्ति – एक बार जब सौर ऊर्जा को डीसी से एसी बिजली में बदल दिया जाता है, तो यह आपके विद्युत सिस्टम के माध्यम आपके उपकरणों को बिजली देने के लिए घर के भीतर वितरित किया जाता है।
सोलर पैनल का बिज़नेस (Solar Panel Business) कैसे करे?
एक सौर/सोलर पैनल व्यवसायी संभावित प्रतिष्ठानों के लिए ऑन-साइट सर्वेक्षण का काम करता है, किसी जगह के लिए सौर पैनल के स्टेप-अप के लिए योजना बनाता है, पूरे सिस्टम की कीमत से संबंधित ग्राहक के साथ बात करता है और सौर पैनल इकाइयों को स्थापित करवाता है
इस व्यवसाय में नए पैनल के रखरखाव, पैनल की स्थिति और पैनल की मरम्मत का काम शामिल होता है, साथ ही सबसे ज़्यादा उत्पादकता के लिए ग्राहक को सुनिश्चित करना होता है और ज़रूरत पड़ने पर ग्राहक को तकनीकी सहायता प्रदान करनी होती है।
सोलर पैनल व्यवसाय में निर्माण कार्य, विद्युत विज्ञान और सौर ऊर्जा की बुनियादी समझ रखने वाले और इस फील्ड में अच्छा कौशल रखने वाले संरचित कर्मचारियों की आवश्यकता भी होती है। इसके अलावा आप नीचे बताए गये कुछ स्टेप्स को फॉलो करके सौर पैनल का व्यवसाय आसानी से शुरू कर सकते हैं –
- अपने व्यवसाय की योजना बनाएं – Setup Business Plan
- कानूनी इकाई बनाए – Form a legal unit
- कर के लिए पंजीकरण करें – Register for Taxes
- व्यवसायिक बैंक खाता खोलें – Open business bank account
- व्यापार लेखांकन स्थापित करें – Setup Business Accounting
- आवश्यक परमिट और लाइसेंस प्राप्त करें – Get permit and license
- व्यवसाय बीमा प्राप्त करें – Get business insurance
- अपने ब्रांड को परिभाषित करें – Define your business brand
- अपनी वेबसाइट स्थापित करें – Develop your business website
- व्यवसाय का विज्ञापन करे – Advertise your business
सोलर पावर प्लांट/सौर ऊर्जा संयंत्र क्या है?
सोलर पावर प्लांट या सौर ऊर्जा संयंत्र को सौर ऊर्जा प्रणाली, सोलर प्रणाली, सोलर ऊर्जा प्रणाली और सौर/सोलर संयंत्र के रूप में भी जाना जाता है। जो मूल रूप से सूर्य के प्रकाश (Sunlight) का उपयोग करके सौर पैनल (Solar Panel) द्वारा बिजली उत्पन्न करने की आधुनिक तकनीक है।
यह प्लांट कई घटकों की व्यवस्था होती है जिसमे सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करने और बिजली में परिवर्तित करने के लिए सौर पैनल, डीसी से एसी में बिजली बदलने के लिए सोलर इनवर्टर सिस्टम, सौर बैटरी और अन्य सौर सहायक उपकरण शामिल होते है।
एक सौर ऊर्जा प्रणाली/संयंत्र, सूर्य की रोशनी को सीधे फोटोवोल्टिक (PV) पैनल का उपयोग करके या अप्रत्यक्ष रूप से केंद्रित सौर ऊर्जा (CSP) का उपयोग करके, बिजली में परिवर्तित करने पर आधारित तकनीक होती है।
Types of Solar Power Plant – सौर ऊर्जा संयंत्र के प्रकार
मूल रूप से, सौर ऊर्जा संयंत्र तीन अलग-अलग प्रकारों में उपलब्ध हैं –
- ऑन-ग्रिड सौर ऊर्जा संयंत्र
- ऑफ-ग्रिड सौर ऊर्जा संयंत्र
- हाइब्रिड सौर ऊर्जा संयंत्र
उपरोक्त सभी प्रकार के सौर ऊर्जा प्रणाली की दो अलग उप-श्रेणी होती है –
- घर के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र (ग्रिड / ऑफ ग्रिड / हाइब्रिड)
- वाणिज्यिक सौर ऊर्जा संयंत्र (ऑन-ग्रिड / हाइब्रिड)
सौर/सोलर व्यापार/बिज़नेस (Solar Panel Business) में लाभ मार्जिन कितना है?
प्रति एकड़ भूमि पर औसत सौर उर्जा लाभ 15,00,000 और 30,00,000 के बीच होता है, इसके घरेलू इस्तेमाल पर बिजली का बिल में बचत होती है और 1-2 लाख के निवेश से इसका व्यवसाय करने पर तकरीबन 50,000 का प्रॉफिट हो सकता है। इसके अलावा, यदि 1 मेगावाट उत्पादन वाला सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया जाता है तो इससे प्रति वर्ष 1.6 करोड़ का लाभ कमाया जा सकता है।
सौर ऊर्जा / बिजली संयंत्र के लाभ/फायदे क्या है?
सौर उर्जा सिस्टम यानी सोलर पैनल लगवाने के कई सारे लाभ है जैसे –
- यह एक नया ऊर्जा का स्रोत है
- इसके इस्तेमाल से बिजली का बिल कम या ज़ीरो होगा
- यह एक विविध अनुप्रयोग साबित होगा
- इसमे रखरखाव की लागत ना के बराबर होगी
- यह एक नया प्रौद्योगिकी विकास है
- नये व्यवसाय के इसमे कई स्कोप मोजूद है
- सौर बिजली संयंत्र लगाकर आप अच्छा प्रॉफिट कमा सकते है
- स्ट्रीट लाइट्स के लिए इसका इस्तेमाल होता है
- कम उर्जा की खपत करने वालो को अलग से बिजली की आवश्यकता नही होगी
Scope of the solar panel business in India – भारत में सौर ऊर्जा व्यवसाय का दायरा/स्कोप क्या है?
- आप सोलर के उत्पाद विक्रेता बन सकते है – Be a solar product seller
- आप सोलर पैनल के एक वितरक या डिसट्रिब्युटर बन सकते है – Be a solar panel distributor
- सौर ऊर्जा प्रणाली के इंस्टॉलर बने – Be a solar power plant maker
- सोलर पैनल के सर्विस प्रवाइडर बन सकते है – Be a service provider
- खुद का सौर उर्जा प्लांट खोल सकते है – Own a solar power plant
- घरेलू उर्जा आपूर्ति के सोलर पैनल लगवाए – Save money using solar power at home
- सोलर कन्सल्टेंट बन सकते है – Be a solar consultant
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सोलर सिस्टम की एजेंसी लेने की क्या प्रक्रिया है
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