Business Registration in Hindi - बिज़नेस रजिस्ट्रेशन कितने तरह के होते है?

बिज़नेस रजिस्ट्रेशन कितने टाइप के होते है?

जब भी हम किसी भी तरह के एक छोटे उद्योग या व्यवसाय की शुरूवात करते हैं तो इस नए व्यवसाय की जानकारी को सरकार के साथ साझा करना आवश्यक होता है ताकि हमारे इस व्यवसाय का सरकारी सूची में पंजीकरण हो सके और हम बिना किसी बाधा के आसानी से व्यापार कर सके व इसके साथ ही सरकार द्वारा संचालित किसी व्यवसाय योजना का लाभ उठा सके। इस प्रकार की व्यवसाय के पंजीकरण की प्रक्रिया को व्यापार पंजीकरण यानी बिज़्नेस रेजिस्ट्रेशन (business registration) कहा जाता है, इस पोस्ट में जानेंगे business registration in Hindi, business registration kitne tarah ke hote hai, business registration kitne type ke hote h

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अपना खुद का नया व्यवसाय शुरू करने के लिए, व्यवसाय इकाई को चलाने के लिए क़ानूनी वैधताओं का पूरा होना ज़रूरी होता है जिसमे कंपनी पंजीकरण प्रक्रिया यानी रेजिस्ट्रेशन पहला कदम है जो आपको व्यवसाय को चलाने के लिए एक कानूनी प्राधिकरण प्रदान करता है जिसमे कंपनी अधिनियम के तहत निर्धारित सभी नियमों और विनियमों का पालन करना शामिल होता है, भारतीय कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) नए व्यवसाय को शुरू करने के लिए कई तरह के पंजीकरण (business registration) करता है, भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 में कई प्रकार की कंपनियों को सूचीबद्ध किया गया है जिसमे आप अपने व्यवसाय को पंजीकृत कर सकते है।

यदि आप अपने किसी छोटे व्यवसाय या उद्योग का रेजिस्ट्रेशन करवाने का सोच रहे है तो रेजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से पहले, इन विभिन्न प्रकार के रेजिस्ट्रेशन पर नज़र डालें, जिन्हें आप अपने व्यवसाय के लिए कर सकते हैं।

Sole Proprietorship

सोल प्रोप्राइटरशिप का मतलब एकमात्र स्वामित्व है जो व्यवसाय का सबसे सरल रूप होता है जिसके तहत कोई व्यक्ति विशेष व्यवसाय संचालित करता है और यह एक कानूनी इकाई नहीं होती है, यह सिर्फ़ व्यवसाय के मालिक को संदर्भित करता है। यदि आप एक एकल स्वामित्व यानी खुद के नाम पर व्यवसाय या कंपनी को रजिस्टर करने के लिए प्रोप्राइटरशिप के तौर पर पंजीकृत कर सकते है जिसे सोल ट्रेडर, इंडिविजुयल एंट्रेपरेणेउर्शिप, व्यक्तिगत उद्यमशीलता या स्वामित्व के रूप में भी जाना जाता है।

यह पंजीकरण आपके नाम के तहत किसी व्यवसाय को पंजीकृत करने के लिए एक मानक है इसका मतलब यह होता है कि आप कंपनी के मालिक हो और इसके संचालन, मुनाफे, नुकसान और देनदारियों के लिए आप ही जिम्मेदार हो।

One Person Company

भारत सरकार द्वारा हाल ही में घोषित नया व्यवसाय पंजीकरण है इसमे आप अपने नाम के तहत सीमित देयता संरक्षण (लिमिटेड लाइयबिलिटी प्रोटेक्षन) व्यवसाय पंजीकरण कर सकते है। वन पर्सन कंपनी, में एक कंपनी के रूप में सिर्फ़ एक ही सदस्य काम करता है।

Partnership (साझेदारी या भागीदारी)

एक साझेदारी व्यवसाय (पार्ट्नरशिप) में आप और अन्य भागीदार शामिल होते हैं। प्रोप्राइटरशिप की तरह, इसमे आप और आपके साथी (पार्ट्नर) कंपनी के आचरण, संचालन, लाभ के बंटवारे, नुकसान और देनदारियों के लिए जिम्मेदार होते हैं।

Limited Liability Partnership

LLP भी भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली एक नई लाइसेंसिंग प्रणाली है जिसमे दो या दो से अधिक भागीदारों को सीमित देयता संरक्षण के साथ व्यवसाय पंजीकृत करने की अनुमति दी जाती है। इसमे कुछ या सभी व्यवसाय के भागीदारों की सीमित देयता या उत्तरदायित्व होता है इसलिए यह भागीदारी और निगमों (पार्ट्नरशिप्स और कॉर्पोरेशन्स) के तत्वों का प्रदर्शन कर सकता है। एक एलएलपी कंपनी में, प्रत्येक साझेदार दूसरे साझेदारो की लापरवाही के लिए जिम्मेदार या उत्तरदायी नहीं होता है।

Private Limited Company

ज़्यादातर छोटे, मध्यम और बड़े व्यवसायों के पंजीकरण लिए प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सबसे उपयुक्त विकल्प है। इसमे आपको लाभ के साझाकरण, देनदारियों, जिम्मेदारियों और हर साथी या कंपनी के सदस्य की भूमिकाओं को परिभाषित करने की अनुमति दी जाती है।

एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी लोगों के एक छोटे समूह द्वारा आयोजित एक व्यावसायिक इकाई होती है। नये स्टार्टअप और उच्च विकास आकांक्षा वाले व्यवसाय एक उपयुक्त व्यवसाय संरचना के रूप में निजी कंपनी का चयन करते हैं। किसी व्यवसाय इकाई को भारत में 2013 के कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकरण के माध्यम से एक कंपनी के रूप में मान्यता दी जाती है।

Public Limited Company

किसी छोटे व्यवसाय को शुरू करने के लिए यह पंजीकरण उपयोगी नहीं है। पब्लिक लिमिटेड कंपनी आमतौर वे विशाल कंपनियां होती है जो जनता को अपनी कंपनी के शेयर प्रदान करती हैं और स्टॉक एक्सचेंज में कंपनी के शेयरो को सूचीबद्ध करती हैं।

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 149 (1) के तहत आवश्यक है कि प्रत्येक कंपनी के पास सार्वजनिक कंपनी (पब्लिक लिमिटेड कंपनी) के मामले में न्यूनतम 3 निदेशक होने चाहिए, निजी कंपनी (प्राइवेट लिमिटेड कंपनी) के मामले में दो निदेशक होने चाहिए और वन पर्सन कंपनी के मामले में सिर्फ़ एक निदेशक होना चाहिए।

Non-Profit Organization

यह किसी विशेष सामाजिक कारण को आगे बढ़ाने या साझा दृष्टिकोण के लिए वकालत करने के लिए समर्पित एक संगठन होता है जो शेयरधारकों या सदस्यों को अपनी आय को वितरित करने के बजाय अपने अंतिम उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए राजस्व के अधिशेष का उपयोग करते है। ऐसे संगठन के लिए प्राप्त धन पर आयकर का भुगतान नहीं किया जाता है क्योकि ये संगठन धार्मिक, वैज्ञानिक, अनुसंधान या किसी शैक्षिक फील्ड में काम करते हैं।

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