
भारत के पहले उप प्रधान मंत्री व पहले ग्रह मंत्री, लौह पुरुष के नाम से प्रसिद्ध सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित, यह Statue of Unity दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा Tallest Statue है। यह एकता की मूर्ति Statue of Unity वड़ोदरा से लगभग 100 किलोमीटर दूर केवडिया कॉलोनी, राजपीपला में सरदार सरोवर बांध के सामने नर्मदा नदी के किनारे साधु बेट द्वीप पर स्थित है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची (182 मीटर ऊंची) प्रतिमा बनाने का बिल पास किया, इस परियोजना की लागत 2,989 करोड़ निर्धारित हुई जिसको पूरा करने के लिए यह परियोजना लार्सन एंड टुब्रो को सौंपी गई थी, जिसका निर्माण कार्य 31 अक्टूबर 2014 को शुरू किया था।
31 अक्टूबर 2018 को लोह पुरुष सरदार पटेल की 143 वीं जयंती पर उनकी प्रतिमा का उद्घाटन करने की योजना बनाई गयी थी। 42 महीने की अवधि में ही समाप्त हुए इस परियोजना में श्रम और सामग्री की कोई कमी नही हुई।
सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा को बनाने का विचार पहली बार 7 अक्टूबर 2010 को नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में चल रहे 10 वें वर्ष के उपलक्ष्य में एक संवाददाता सम्मेलन में घोषित किया गया था।
सरदार पटेल की प्रतिमा के लिए आवश्यक लोहे को इकट्ठा करने के लिए भारतीय किसानों को अपने उपयोग किए गए कृषि उपकरण दान करने के लिए कहा था।
आखिरकार, लगभग 5000 टन लोहे को एकत्र किया गया हालांकि, यह प्रतिमा बनाने के लिए इसका उपयोग नहीं हुआ लेकिन प्रतिमा की संरचना के निर्माण से संबंधित अन्य कार्यों में इस लोहे का उपयोग किया गया था।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण का कारण –
भारतीय गणराज्य के गठन के लिए रियासतों के एकीकरण की ओर उनकी प्रतिबद्धता, दिल्ली व पंजाब छोड़ने वाले शरणार्थियों के लिए अथक राहत प्रयास और आवंटित ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रांतों को एकीकृत करना इत्यादि महान कामो के लिए सरदार पटेल को टाइटल से सम्मानित किया गया था।
विविधताओं से भरे एक महान राष्ट्र भारत के लिए सरदार पटेल के योगदान की निशानी के रूप में “स्टैचू ऑफ यूनिटी” के विचार ने जन्म लिया।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का प्रारूप और निर्माण कार्य –

चीन के एक फाउंड्री ( ढलई-घर ) में निर्मित विशाल कांस्य वल्लभभाई की प्रतिमा को मूर्तिकला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित भारतीय मूर्तिकार राम वनजी सुथार ने डिजाइन किया गया था। अपने 40 साल के कामकाजी जीवन में राम वनजी सुथार ने 50 से अधिक स्मारक मूर्तियां बनाई हैं।
पटेल प्रतिमा में सिर ऊपर, कंधे पर एक शाल और हाथ इस तरह से बनाए गए हैं मानो वह चलने के लिए तैयार हो। व्यक्ति के वास्तविक चरित्र को चित्रित करता है – उसका व्यक्तित्व, अचूक प्रयास और कठोर इच्छाशक्ति। चार साल के काम के बाद इस World’s Tallest Statue की संरचना का विशेष विवरण इस तरह तैयार होता है – आधार से ऊंचाई 240 मीटर, आधार की ऊंचाई 58 मीटर, प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर
दर्शन गैलरी और संग्रहालय –

इस Tallest Statue को पाँच स्तर में बाँटा गया है जिसमे से तीन को सार्वजनिक दृश्य के लिए खोला गया है – पहले स्तर में सरदार पटेल का एक स्मारक उद्यान व एक संग्रहालय है जिसमें मूर्ति के शीर्ष तक जाने का रास्ता शामिल है। दूसरा स्तर प्रतिमा की जांघों पर 149 मीटर तक जाता है।
तीसरे स्तर का निर्माण नर्मदा और आसपास की सतपुड़ा व विंध्याचल पर्वतमाला के विस्तारक दृश्य को देखने की गैलरी के लिए किया गया हैं। चौथा और पाँचवाँ उच्चतम स्तर हैं जोकि रखरखाव क्षेत्र के रूप में काम में लिया जाता हैं।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की मुख्य विशेषताएं –

- 3000 कर्मचारी पूरी तरह से इस निर्माण प्रक्रिया में शामिल थे जिसमें से 300 इंजीनियर थे।
- मूर्ति में जमीन से 153 मीटर की ऊंचाई पर एक देखने वाली गैलरी है जिसमे लगभग 200 पर्यटक एक साथ खड़े रह सकते है।
- उद्घाटन से एक हफ्ते के भीतर, 1.28 लाख से अधिक पर्यटकों ने इस प्रतिमा का दौरा किया है।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परियोजना की कुल निर्माण लागत 2,989 करोड़ रुपये है।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 60 मीटर / सेकंड तक के कंपन और भूकंप के साथ हवा के वेग का सामना करने में सक्षम है।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का एक मूल प्रवेश टिकट वयस्कों के लिए 120 रुपये और बच्चों के लिए 60 रुपये है।
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